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गुरूवार, 26 जून, 2025
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ऑपरेशन सिन्दूर टिप्पणी के बाद निशिकांत का राहुल पर हमला, गांधी परिवार पर लगाया ‘देशद्रोह’ का आरोप

‘सैन्य जानकारी साझा करने के लिए भारत-पाकिस्तान समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान चन्द्रशेखर सरकार को समर्थन देने’ को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोला.

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नई दिल्ली: सैन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करने के बारे में भारत-पाकिस्तान समझौता — जिस पर 1991 में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार ने हस्ताक्षर किए थे और जिसे 1994 में नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार ने लागू किया था — एक नए राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इस समझौते को “देशद्रोह” करार दिया है.

चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर वर्तमान में भाजपा नेता हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले साल नरसिम्हा राव को भारत रत्न से भी सम्मानित किया था, लेकिन भाजपा इस समझौते का हवाला देकर एक बड़ा तर्क देने की कोशिश कर रही है.

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला करने के बाद राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया. उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने 1991 में चंद्रशेखर सरकार का समर्थन किया था, जिसने इस समझौते का समर्थन किया था. बाद में, 1994 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली नरसिम्हा राव सरकार ने इस समझौते को लागू किया, जिसके तहत भारत को सेना, नौसेना और वायु सेना की आवाजाही का विवरण पाकिस्तान के साथ साझा करना था. यह देशद्रोह है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को मुकदमे का सामना करना चाहिए.”

भाजपा सांसद ने अपने आरोपों को और बढ़ाते हुए कहा, “कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया…भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को खत्म कर दिया. क्या पाकिस्तान के साथ सैन्य तैनाती की योजना साझा करना देशद्रोह नहीं है? हम इस समझौते के पीछे के लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग करते हैं-कांग्रेस पार्टी के खिलाफ एफआईआर.”

शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए सिंदूर ऑपरेशन आउटरीच प्रतिनिधिमंडल के सदस्य निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी को सीधे चुनौती दी: “कांग्रेस हमेशा से ही पाकिस्तानी हितों में शामिल रही है. फिर आप विदेश मंत्री जयशंकर की ईमानदारी पर सवाल कैसे उठा सकते हैं?”

निशिकांत दुबे पिछले हफ्ते उठे विवाद का ज़िक्र कर रहे थे, जब राहुल गांधी ने विदेश मंत्री जयशंकर पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर का ब्यौरा पाकिस्तान को लीक करने का आरोप लगाया था.

जयशंकर को “जेजे” बताते हुए राहुल गांधी ने कहा था, “भारत को पाकिस्तान के साथ क्यों जोड़ा गया है? पाकिस्तान की निंदा करने में एक भी देश ने हमारा साथ क्यों नहीं दिया? ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच ‘मध्यस्थता’ करने के लिए किसने कहा? भारत की विदेश नीति ध्वस्त हो गई है.”

दुबे के आरोपों के जवाब में कांग्रेस नेताओं ने जोरदार बचाव किया. प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “दुबे को इस बात की जानकारी नहीं है कि कांग्रेस ने 6 अप्रैल 1991 के समझौते से पहले फरवरी 1991 में चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. 10वीं लोकसभा के चुनाव की घोषणा पहले ही हो चुकी थी. सटीक जानकारी के लिए उन्हें अपनी पार्टी के सहयोगी नीरज शेखर से सलाह लेनी चाहिए.”

निशिकांत दुबे ने जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान अगस्त 1992 में इस समझौते की पुष्टि की गई थी, लेकिन पवन खेड़ा ने इसका खंडन करते हुए कहा, “यह समझौता विशेष रूप से शांतिकालीन सैन्य अभ्यासों को नियंत्रित करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से ‘प्रशिक्षण युद्धाभ्यास’ और ‘नियमित सैन्य आंदोलनों’ का उल्लेख है – ऑपरेशन या युद्ध विवरण नहीं. असली सवाल यह है कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पहले से क्यों सूचित किया? युद्ध विराम की शर्तें क्या थीं?”

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी एक्स पर लिखा, “खैर, इस बार भाजपा ने अपनी अज्ञानता दिखाते हुए स्वीकार किया है कि विदेश मंत्री जयशंकर ने हमारी सेना के हमले की जानकारी पाकिस्तान को पहले से दे दी थी. डिग्री दुबे जिस समझौते का ब्यौरा दे रहे हैं, वह शांतिकाल के लिए था, युद्ध की स्थिति में जासूसी के लिए नहीं और अंत में, राजीव गांधी ने 6 मार्च 1991 को चंद्रशेखर की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. यह समझौता 6 अप्रैल 1991 का है.”

नीतिगत फैसलों पर हमला

कांग्रेस के ऐतिहासिक पाकिस्तान नीतिगत फैसलों की पड़ताल करते हुए निशिकांत दुबे ने शनिवार को एक्स पर दस्तावेज़ साझा करते हुए आरोप लगाया: “1965 के युद्ध में जीत के बाद, पार्टी ने 1968 में गुजरात के कच्छ के रण का 828 वर्ग किलोमीटर हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया. हमने भारत-पाकिस्तान मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाया, (और) यूगोस्लाविया के वकील अली बाबर को मध्यस्थ नियुक्त किया.”

निशिकांत दुबे ने पोस्ट में कहा, “पूरी संसद ने इसका विरोध किया, लेकिन इंदिरा गांधी आयरन लेडी थीं; उन्होंने डर के मारे हमारा हिस्सा नीलाम कर दिया. यह आयरन लेडी की सच्चाई है. कांग्रेस का हाथ हमेशा पाकिस्तान के साथ रहता है.”

एक्स पर, भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स (1986-87) का नाम लेते हुए राजीव गांधी पर भारत की सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया.

इंडिया टुडे के एक लेख की क्लिपिंग साझा करते हुए, अमित मालवीय ने कहा: “1986-87 में, भारत के सबसे दूरदर्शी सैन्य नेताओं में से एक जनरल के. सुंदरजी ने राजस्थान-पाकिस्तान सीमा के पास एक विशाल चार-चरणीय सैन्य अभ्यास, ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स शुरू किया. मोबाइल युद्ध, एजिलिटी और मशीनीकरण का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किए गए इस ऑपरेशन में लगभग 500,000 सैनिक शामिल थे.”

अमित मालवीय ने लिखा कि भारत ने औपचारिक रूप से पाकिस्तान को ऑपरेशन के बारे में सूचित किया और प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुनेजो को आश्वासन दिया कि यह “सिर्फ एक अभ्यास” था. हालांकि, पाकिस्तान ने भारतीय पंजाब की सीमा तक आक्रामक सैनिकों को भेज दिया, जबकि “खालिस्तानी चरमपंथियों” ने अलगाववादी आंदोलन की घोषणा की और भारत नागरिक अशांति के कगार पर खड़ा था.

राजीव गांधी ने “आखिरकार” सैनिकों को तैनात किया, लेकिन मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के अनुरोध पर जल्द ही पीछे हट गए, अमित मालवीय ने लिखा, उन्होंने आगे कहा कि गांधी ने बाद में जनरल सुंदरजी और तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री अरुण सिंह को गलत कदमों के लिए दोषी ठहराया और दावा किया कि वे “अंधेरे में” थे. उन्होंने जिया-उल-हक को भारत में एक क्रिकेट मैच के लिए आमंत्रित किया और “तुष्टिकरण 1988 में भारत-पाक समझौते में परिणत हुआ, जिसमें एक-दूसरे की परमाणु सुविधाओं पर हमलों से बचने के लिए समझौता किया गया, जो जिया द्वारा शुरू की गई बात को पूरा करता है”.

भाजपा जिस मुद्दे पर जोर देने की कोशिश कर रही है, उसी पर वापस आते हुए अमित मालवीय ने कहा, “यह राष्ट्रीय सुरक्षा पर गांधी की विरासत है- फ्लिप-फ्लॉप, तुष्टिकरण और बलि का बकरा…ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों पर राष्ट्र को उपदेश देने से पहले, राहुल गांधी को फिर से देखना चाहिए कि कैसे उनके परिवार ने बार-बार भारत के सामरिक हितों से समझौता किया और यह सब आत्मसमर्पण की आड़ में कूटनीति के लिए किया.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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