नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि परिसीमन कीजिए, लेकिन हर राज्य में मौजूदा लोकसभा सीटों की संख्या में बदलाव मत कीजिए. इससे राज्यों को जनगणना के आधार पर लोकसभा सीटों के पुनर्आवंटन का दायरा सीमित हो गया है.
नायडू ने शनिवार को दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा, “और अगर आप सीटें (लोकसभा में कुल सीटें) बढ़ाते हैं, तो इसे आनुपातिक रूप से (राज्यों के लिए) बढ़ाएं.”
16 लोकसभा सांसदों वाली उनकी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए महत्वपूर्ण है. सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास 293 सांसद हैं, जो बहुमत के आंकड़े से 21 ज़्यादा हैं.
नायडू के रुख का इस बात पर गहरा असर होगा कि मोदी सरकार परिसीमन की प्रक्रिया को किस तरह आगे बढ़ाती है.
नायडू द्वारा दिए गए दो विकल्प लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के जनसंख्या-आधारित पुनर्निर्धारण की संभावना को कम करते हैं — जो दक्षिणी राज्यों के लिए एक गंभीर मुद्दा है. उनका तर्क है कि जनसंख्या के आधार पर सीटों का पुनर्आवंटन लोकसभा में उनके प्रतिनिधित्व को कम कर देगा, जो उनके अनुसार, उनकी जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए उन्हें दंडित करने के बराबर है.
तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन ने आरोप लगाया है कि केंद्र में मोदी सरकार जिस तरह से जनगणना और उसके बाद परिसीमन कर रही है, उसमें एक “भयावह योजना” है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण की अनदेखी करने वाले राज्यों को अतिरिक्त सीटों से पुरस्कृत किया जाएगा, जो संघीय ढांचे को विकृत करेगा.
नायडू ने दिप्रिंट से कहा, “भारतीय जनसंख्या घट रही है. अगर वह परिसीमन करते हैं, तो नाराज़गी होगी. आप (परिसीमन) कर सकते हैं, (लेकिन) सीटों की संख्या में बदलाव न करें. संख्या स्थिर रखें, फिर परिसीमन करें.”
आंध्र के सीएम ने कहा, “अगर आप (लोकसभा सीटें) बढ़ाते हैं, तो आनुपातिक रूप से बढ़ाएं. वरना नाराज़गी होगी.भावनाएं शामिल हैं.”
उन्होंने आगे बताया कि अगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों को जनसंख्या के हिसाब से पुनर्गठित किया जाता है, तो इसे “राज्य के भीतर” किया जाना चाहिए.
उदाहरण के लिए अगर आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीटें हैं और तमिलनाडु में 39, तो ये संख्याएं वही रहनी चाहिए, भले ही निर्वाचन क्षेत्रों को जनसंख्या के हिसाब से फिर से बनाया जाए. नायडू को इस बात से कोई परेशानी नहीं है कि अगर केंद्र लोकसभा की कुल संख्या 543 से बढ़ाकर 848 या उसके आसपास कर देता है.
उन्होंने कहा, “543 या उससे अधिक नीति निर्माताओं पर निर्भर करता है. आनुपातिक रूप से बढ़ाएं.”
उदाहरण के लिए अगर 39 सीटों वाले तमिलनाडु के पास लोकसभा में 7.18 प्रतिशत हिस्सा है, तो सीटों में वृद्धि के बाद भी कुल सीटों का प्रतिशत समान होना चाहिए.
केंद्र अगले हफ्ते 2027 की जनगणना के लिए अधिसूचना जारी करने वाला है और अंतिम जनसंख्या गणना के बाद परिसीमन अभ्यास शुरू होने की संभावना है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि दक्षिणी राज्यों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन केंद्र इस बात को लेकर अस्पष्ट है कि जनसंख्या आधारित परिसीमन से लोकसभा में राज्यों की हिस्सेदारी — संख्या या आनुपातिक प्रतिनिधित्व के मामले में — समान रहेगी या नहीं.
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